एक भारत श्रेष्ठ भारत
31 अक्टूबर, 2015 को आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाने की कल्पना की गई थी, जिसके द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के संप्रदायों के बीच एक निरंतर और सकारात्मक संवर्धित सांस्कृतिक संबंध बनाए जा सके। माननीय प्रधानमंत्री ने यह प्रतिपादित किया कि सांस्कृतिक विविधता एक खुशी है जिसे विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों के बीच पारस्परिक संपर्क और समन्वय के माध्यम से मनाया जाना चाहिए ,ताकि देश भर में समझ की एक सामान्य भावना प्रतिध्वनित हो। देश के प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश का एक वर्ष के लिए किसी अन्य राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश के साथ जोड़ा बनाया जाएगा, इस दौरान वे भाषा, साहित्य, भोजन, त्योहारों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, पर्यटन आदि क्षेत्रों में एक दूसरे के साथ जुड़ेंगे | भागीदार राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेश आपस में एक दूसरे को सांस्कृतिक रूप से अंगीकृत करेंगे।
भारत सरकार कैसे कार्यक्रम और प्रधानमंत्री जी की अपील में अपना योगदान देते हुए केंद्रीय विद्यालय संगठन ने वर्ष 2015 से ही इस कार्यक्रम को बढ़-चढ़कर आयोजित किया है। यह कार्यक्रम विद्यालय स्तर पर, फिर कलस्टर (संकुल स्तर), तत्पश्चात संभाग/ राज्य स्तर से होते हुए राष्ट्रीय स्तर तक आयोजित किया जाता है।
विगत कुछ वर्षों से केंद्रीय विद्यालय संगठन भोपाल संभाग को मणिपुर राज्य के समन्वय का जिम्मा मिला है और केंद्रीय विद्यालय क्रमांक के इंदौर इस कड़ी में अपने संभाग का परचम राष्ट्रीय स्तर तक फहरा रहा है। कला उत्सव के अंतर्गत लगभग 12 प्रतियोगिताओं में विद्यालय ने स्कूल स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक अपना प्रतिनिधित्व किया है। समूह गीत, समूह नृत्य, एकल लोकगीत, एकल लोक नृत्य, एकल शास्त्रीय गायन, एकल शास्त्रीय नृत्य, एकल वाद्य यंत्र, एकल अभिनय, टूल एंड टॉय निर्माण आदि प्रतियोगिताओं में हिस्सेदारी कर विद्यार्थियों ने अपनी सार्थक भूमिका का निर्वाह किया है। संभाग स्तर पर 33 विद्यार्थियों तथा राष्ट्रीय स्तर पर 15 विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में भागीदारी कर विद्यालय के गौरव को बढ़ाया है।
एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत हर महीने भाषा संगम का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें बच्चे भारतीय भाषाओं, उपभाषाओं, क्षेत्रीय लोक भाषाओं तथा बोलियों पर सुंदर कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं। नारा लेखन, संवाद, नाटक, कविता पाठ,गीत गायन आदि विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रार्थना सभा या अन्य लघु कार्यक्रमों में भाषा संगम की प्रस्तुतियां देते हैं।